Dev Uthani Ekadashi 2022: आज 4 महीने बाद योग निद्रा से जागेंगे नारायण, जानें व्रत के नियम और पूजा का शुभ मुहूर्त
मान्यता है कि जो लोग सालभर की एकादशी का व्रत नहीं रख पाते वो अगर देवउठनी एकादशी का व्रत रख लें तो उन्हें सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाता है. इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जाने-अनजाने किए गए पाप दूर होते हैं.
Dev Uthani Ekadashi 2022: 4 नवंबर शुक्रवार को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) है. मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन नारायण चार माह की निद्रा से बाहर आते हैं और संसार के संचालक के तौर पर अपना कार्य संभालते हैं. इसी के साथ चातुर्मास (Chaturmas) का समापन हो जाता है और शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी (Devotthan Ekadashi) और प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इसे सबसे बड़ी एकादशी माना जाता है.
मान्यता है कि जो लोग सालभर की एकादशी का व्रत नहीं रख पाते वो अगर देवउठनी एकादशी का व्रत रख लें तो उन्हें सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाता है. इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के जाने-अनजाने किए गए पाप दूर होते हैं और उसे मृत्यु के बाद सद्गति प्राप्त होती है. अगर आप भी इस व्रत को रखने जा रहे हैं, तो एक बार व्रत के नियम और शुभ मुहूर्त के बारे में जरूर जान लें.
आज से लागू हो जाएंगे ये नियम
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि किसी भी एकादशी व्रत के नियम दसवीं तिथि यानी एकादशी के एक दिन पहले सूर्यास्त के बाद से लागू हो जाते हैं. अगर आप देवउठनी एकादशी का व्रत रखने जा रहे हैं तो सूर्यास्त से पहले ही शाम का भोजन कर लें. भोजन सामान्य हो यानी उसमें प्याज-लहसुन का इस्तेमाल न करें. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को होता है, ऐसे में देवउठनी एकादशी व्रत का पारण 5 नवंबर को शनिवार के दिन होगा.
ये हैं व्रत के नियम
- देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें. आप व्रत निर्जल रहकर या फलाहार लेकर रह सकते हैं. सामर्थ्य के अनुसार व्रत रखें. शाम के समय नमक का सेवन बिल्कुल न करें.
- शाम के समय नारायण को निद्रा से जगाया जाता है और उनका पूजन किया जाता है. इस दौरान घर के आंगन में चूना व गेरू से रंगोली बनाकर गन्ने से मंडप बनाएं और भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप और तुलसी मैया का पूजन करें.
- व्रत के दौरान मन में भगवान के नाम का जाप करें. किसी की चुगली, बुराई आदि न करें. ऐसा कोई काम न करें जो किसी दूसरे को ठेस पहुंचाए और ब्रह्मचर्य का पालन करें.
- एकादशी की रात में संभव हो तो जागरण करें और भगवान के भजन कीर्तन आदि करें. मंत्रों का जाप करें. अगले दिन स्नान आदि के बाद किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन खिलाकर सामर्थ्य के अनुसार दान करें और इसके बाद व्रत का पारण करें.
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पूजा और व्रत पारण का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार 3 नवंबर 2022 को शाम 07:30 मिनट पर एकादशी तिथि प्रारंभ होगी और इसका समापन 4 नवंबर 2022 को शाम 08:08 मिनट पर होगा. शास्त्रों में इस दिन को बेहद शुभ माना गया है. ऐसे में आप किसी भी समय पूजा कर सकते हैं. हर क्षण शुभ है. व्रत का पारण शनिवार 5 नवंबर की सुबह 06:36 मिनट से 08:47 मिनट के बीच करना शुभ है. वैसे द्वादशी तिथि 5 नवंबर की शाम 05:06 मिनट पर समाप्त होगी, तो ऐसे में आप तिथि समाप्त होने से पहले कभी भी पारण कर सकते हैं.
08:07 AM IST